कभी कभी खामोशी की भी जुबां समझनी चाहिए,
अक्सर लफ़्ज़ों की जुबां बेहेस बन जाती है!
अक्सर लफ़्ज़ों की जुबां बेहेस बन जाती है!
दुनिया ना को जाने क्या जलन होती है,
किसी के दिल के मंदिर में गर अजान होती है !
मेरे मानाने का अंदाज उसे इतना भाता है,
कि बार बार मुझसे वो खफां हो जाता है!
काश ! हम भी उनका सेलफ़ोन होते,
कम से कम वो हमे खोने से तो डरते!
यूँ तो प्यार हमारा हीर रांझे से कम नहीं,
पर झगड़ते वक़्त वो पाकिस्तान और मै हिंदुस्तान से कम नहीं !
तन्हा होकर भी अकेले मुस्कूरा रहा है,
लगता है जनाब नए नए इश्क मे पड़े हैl
कमबख़्त रूक नही रही यें हिचकियाँ
मोहब्बत भी तेरी जान लेकर मानेगी!
खौफ आने लगा है अब मौत से हमें
अब बात बात पर वो मेरी कसम खाने लगे है!
उनकी तारीफों का अस़र कुछ यूं हुआ,
कि आज आईना हमे देख-देखकर थक गया।
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